Sunita Williams in Space: ISS में देरी पर ISRO प्रमुख का बयान

Sunita Williams in Space

Sunita Williams in Space: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहकर्मी बैरी “बुच” विल्मोर को लेकर बोईंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट (Boeing Starliner) की पहली मानवयुक्त उड़ान ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस मिशन के दौरान आई तकनीकी समस्याओं के चलते सुनीता विलियम्स और विल्मोर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर फंस गए हैं। हालांकि, इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने आश्वस्त किया है कि ISS एक सुरक्षित स्थान है और वहां लंबे समय तक रहा जा सकता है।

मिशन का परिचय

बोईंग द्वारा निर्मित स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की पहली मानवयुक्त उड़ान ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह मिशन नासा के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत संचालित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचाना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है। इस स्पेसक्राफ्ट का मॉडल पहली बार 2010 में पेश किया गया था और 2011 में इसे बनाने की मंजूरी मिली थी।

अंतरिक्ष यात्रियों की यात्रा

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी “बुच” विल्मोर को लेकर इस स्पेसक्राफ्ट ने 5 जून को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। इस उड़ान का उद्देश्य स्टारलाइनर की क्षमता को परखना और सुनिश्चित करना था कि यह सुरक्षित तरीके से अंतरिक्ष यात्रियों को ले जा सके और वापस ला सके। हालांकि, इस मिशन के दौरान कई तकनीकी समस्याएं सामने आईं।

इसरो प्रमुख की प्रतिक्रिया

इसरो के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने इस मिशन पर अपनी चिंता व्यक्त की और बताया कि ISS एक सुरक्षित स्थान है जहां अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक रह सकते हैं। उन्होंने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “किसी स्थान पर फंसे रहना या फंस जाना कोई ऐसी बात नहीं है, जो इस समय हमारे सामने है। यह सिर्फ सुनीता विलियम्स या किसी अन्य अंतरिक्ष यात्री की बात नहीं है। वहां नौ अंतरिक्ष यात्री हैं, उनमें से सभी नहीं फंसे हैं।”

Boeing Starliner की टेस्टिंग

उन्होंने आगे कहा, “पूरा मुद्दा बोइंग स्टारलाइनर नाम के एक नए क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग, वहां तक जाने और फिर सुरक्षित वापस आने की इसकी क्षमता के बारे में है। ग्राउंड लॉन्च प्रोवाइडर्स के पास (उन्हें घर वापस लाने के लिए) पर्याप्त क्षमताएं हैं। यह कोई मुद्दा नहीं है। ISS लोगों के लिए लंबे समय तक रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान है।”

Sunita Williams in Space Boeing Starliner

पहले के परीक्षण

सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विल्मोर की इस मिशन पर रवाना होने से पहले कई परीक्षण उड़ानें हो चुकी थीं, लेकिन वे सभी मानवरहित थीं। पहली मानवयुक्त ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट 20 दिसंबर 2019 को हुई थी, लेकिन सॉफ्टवेयर की गड़बड़ियों के कारण यह स्पेस स्टेशन से डॉक नहीं कर पाई थी। इसके बाद भी कई परीक्षण उड़ानें हुईं, जिनमें विभिन्न तकनीकी समस्याएं सामने आईं।

साहस और गर्व

इसरो प्रमुख ने सुनीता विलियम्स के साहस की प्रशंसा की और कहा, “हम सभी को उन पर गर्व है। उनके नाम कई मिशन हैं। किसी नए अंतरिक्ष यान की पहली उड़ान में यात्रा करना साहस की बात है। वह खुद डिजाइन टीम का हिस्सा हैं और उन्होंने अपने अनुभव से इनपुट का इस्तेमाल किया है।”

तकनीकी समस्याएं

बोइंग ने इस मिशन के लिए व्यापक तैयारियां की थीं, लेकिन स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट (Boeing Starliner) में हीलियम लीक जैसी कई समस्याएं आईं, जिससे इस मिशन में देरी हुई। नासा के वाणिज्यिक चालक दल कार्यक्रम प्रबंधक स्टीव स्टिच ने कहा, “हमें वापस लौटने की कोई जल्दी नहीं है।” नासा और बोइंग ने मिलकर इन समस्याओं का समाधान करने के लिए काम किया और सुनिश्चित किया कि अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रहें।

देरी और सुरक्षा

सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विल्मोर को लेकर इस स्पेसक्राफ्ट की वापसी की तारीखें कई बार बदली गईं, लेकिन नासा ने यह स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष स्टेशन पर रहना सुरक्षित है और कोई तात्कालिक खतरा नहीं है। डॉ. सोमनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के बारे में चिंता करने के बजाय, एक नए क्रू मॉड्यूल के परीक्षण और अंतरिक्ष में यात्रा करने की इसकी क्षमता पर विचार किया जाना चाहिए।

अंतरिक्ष कार्यक्रम की महत्ता

उन्होंने कहा, “आखिरकार अंतरिक्ष कार्यक्रम पूरी मानवता के लिए है। कोई देश अंतरिक्ष यान बना सकता है, लेकिन यह मानवता के लिए है। कौन जानता है, कल हमारा अंतरिक्ष यान किसी दूसरे देश के बचाव मिशन के लिए वहां जाए। हम भी एक क्रू मॉड्यूल बना रहे हैं और मैं समझ सकता हूं कि उनके साथ किस तरह की बातचीत हुई होगी।”

यह मिशन बोइंग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है और इसने अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। इस मिशन के अनुभव से बोइंग और नासा को महत्वपूर्ण सीख मिली है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए मूल्यवान साबित होगी।

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